नमस्कार दोस्तो, स्वागत है आपका एक और रोचक ब्लॉग में जिसमे हम पढ़ेंगे इलेक्ट्रॉन की खोज किसने और कब की थी? (Electron Ki Khoj Kisne Ki) के बारे में । दोस्तों अपने इलेक्ट्रॉन के बारे सुना ही होगा, लेकिन क्या कभी अपने यह सोचा है की इलेक्ट्रॉन की खोज किसने और कब कि थी? अगर नहीं पता तो कोई बात नहीं क्युकी आज हम आपको बताने जा रहे है की इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी। तो चलिए बिना किसी देरी करे इस प्रश्नो का सही जबाब जानते है I
दोस्तों विज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है जिसने मानव जीवन को अद्वितीय रूप से परिवर्तित किया है, और इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इलेक्ट्रॉन की खोज का है। इलेक्ट्रॉन, एक छोटे से तत्त्व के रूप में, आधुनिक विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति का एक प्रतीक है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि इलेक्ट्रॉन की खोज कब और कैसे हुई और इस खोज का सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक पर्याय क्या थे।
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इलेक्ट्रॉन की खोज किसने और कब की थी? (Electron Ki Khoj Kisne Ki)
इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जॉज़ेफ जॉन थॉमसन के द्वारा की गई थी। इलेक्ट्रॉन की खोज का श्रेय ज. ज. थॉमसन (J. J. Thomson) को जाता है, जो एक उच्च शिक्षित और प्रख्यात भौतिकशास्त्री थे। 1897 में, वे एक प्रयोग में कैथोड रे ट्यूब का अध्ययन कर रहे थे जहां उन्होंने एक चमकता हुआ बीना (beam) पाया। उन्होंने इस बीने की गुणधर्मों का अध्ययन किया और देखा कि यह चमकता हुआ बीना एक विद्युत चार्ज को प्रकाशित कर रहा था। थॉमसन ने इसे एक नए तत्त्व के रूप में पहचाना और उसे ‘कैथोड रे’ कहा। यह कैथोड रे बाद में हमें इलेक्ट्रॉन के रूप में पहचाना गया।
थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे की?
जॉज़ेफ जॉन थॉमसन, एक उच्च शिक्षित भौतिकशास्त्री, ने 1897 में इलेक्ट्रॉन की खोज का कार्य किया। उनकी खोज का समर्थन कैथोड रे ट्यूब के माध्यम से हुआ, जिससे एक नए तत्त्व की पहचान हुई और विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित हुआ।
उनका प्रमुख प्रयोग कैथोड रे ट्यूब के साथ था। इस ट्यूब में थॉमसन ने एक कैथोड (नकारात्मक चार्ज से युक्त प्लेट) और एक एनोड (पॉजिटिव चार्ज से युक्त प्लेट) रखे। उन्होंने ट्यूब को वैक्यूम में रखा, ताकि किसी भी अवरोधक या गैस के प्रभाव को नकारात्मक रूप से कम किया जा सके।
अपने प्रयोग में, थॉमसन ने विद्युत चार्ज से युक्त कैथोड पर ऊर्जा शक्ति को प्रवाहित किया। इस प्रक्रिया में, उन्होंने चमकता हुआ बीना देखा, जो ट्यूब के दुसरे पक्ष की और प्रवृत्त हो रहा था। थॉमसन ने इस बीने का अध्ययन करते हुए उसका चार्ज और वेग मापा और इसे “कैथोड रे” कहा।
उनके अध्ययन और परीक्षण के परिणामस्वरूप, थॉमसन ने इस छोटे तत्त्व को नए तत्त्व “इलेक्ट्रॉन” के रूप में पहचाना और विज्ञान में एक नए दरबार की खोज में सफलता प्राप्त की। इस अद्भुत खोज ने भौतिकी, रसायन शास्त्र, और इंजीनियरिंग में अद्वितीय योगदान किया और एक नए युग की शुरुआत की।
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इलेक्ट्रॉन पर चार्ज कितना होता है?
इलेक्ट्रॉन पर चार्ज -1 एलीमेंटरी चार्ज इकाई (elementary charge) होता है। इसका मान लगभग (1.602 x 10−19) कुलोंब (Coulombs) है। इस चार्ज को एक नकारात्मक चार्ज माना जाता है, जिससे इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की आपसी गुणरेखा बनती है।
प्रोटॉन, जो एक और आधुनिक तत्त्व है और एक नकारात्मक चार्ज धारी इलेक्ट्रॉन के उल्टा होता है, भी एक एलीमेंटरी चार्ज इकाई का चार्ज रखता है, लेकिन विपरीत चार्ज का।
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की चार्ज बराबर अंश हैं, लेकिन चार्ज का चिन्ह उनमें उल्टा होता है, जिससे इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक चार्ज धारी होते हैं।
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान कितना होता है?
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान लगभग 9.109 × 10^-31 किलोग्राम है। यह बहुत ही अत्यल्प मात्रा में होता है और इसे “किलोग्राम” की जगह “किलोग्राम” का एक भौतिक सूचकांक, या एक “डैल्टा” (dalton) भी कहा जाता है।
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इलेक्ट्रॉन की भौतिकी
इलेक्ट्रॉन की खोज ने हमें यह सिखाया कि यह एक विद्युत चार्ज के साथ एक अद्वितीय तत्त्व है जो एक अणु का हिस्सा है। इसकी भौतिकी के अध्ययन ने हमें यह सिखाया कि इलेक्ट्रॉन का चार्ज नकारात्मक है और इसका कमी एक न्यूट्रॉन के साथ है, जो एक पॉजिट्रॉन के साथ मिलकर एक आणु का बनावट करता है। इसने भौतिकी के नए सिद्धांतों की शुरुआत की और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप, और कई और प्रौद्योगिकी उत्पन्न की।
सामाजिक प्रभाव और व्यापार का परिणाम
थॉमसन की खोज ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय में बल्कि समाज में भी गहरा प्रभाव डाला। इसने नई उद्यमिता को प्रोत्साहित किया और विज्ञान में नए क्षेत्रों का निर्माण किया। यह खोज ने उद्योगों में नए उत्पादों की रचना की और तकनीकी उन्नति को गति दी। इसका प्रभाव आज भी हमारे जीवन में दिखाई देता है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सौर ऊर्जा प्रणालियों, और ऊर्जा संरक्षण तकनीकों में।
इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद का क्षेत्र
इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद, इसके अध्ययन ने और भी कई रहस्यों को खोला है और हमें इस सृष्टि के कारण, संरचना, और उसके उपयोग को समझने में मदद की है। इसमें न्यूट्रिनो, क्वार्क्स, और अन्य उच्च श्रेणी के भौतिकीय तत्त्वों के अध्ययन का समाहार है, जो हमारे ब्रह्मांड की सबसे महत्वपूर्ण सवालों में से कुछ का समाधान कर सकता है।
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निष्कर्ष
इस ब्लॉग के माध्यम से हमने देखा कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने और कब की थी? इलेक्ट्रॉन की खोज ने कैसे एक नए युग की शुरुआत की और विज्ञान, समाज, और औद्योगिक विकास में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह खोज ने न केवल तत्त्वशास्त्र को बल्कि मानव समृद्धि को भी एक नए स्तर पर ले जाने में सहायक हुई है। इससे हमने जीवन के असीमित रहस्यों की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है और आज भी हम नए अद्वितीय तत्त्वों की खोज में जुटे हैं। और उम्मीद करते है कि यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा और भी मजेदार जानकारी के लिए Gk Study Point से जुड़े रहे।
Electron Ki Khoj Kisne Ki – FAQ’s
इलेक्ट्रॉन की खोज जे. जे. थॉमसन (J J Thomson) ने 1897 में की थी।
बर्ष 1897 में इलेक्ट्रॉन की खोज सर जे जे थॉमसन द्वारा ब्रिटिश लैब में कैथोड किरणों की जांच के दौरान की गई थी।
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