भारत, जिसे एक संघीय प्रणाली में संगठित किया गया है, एक लोकतंत्र है जिसमें राष्ट्रपति राष्ट्र का सर्वोच्च पद धारित करते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे, जिन्होंने राष्ट्रपति के पद को 26 जनवरी 1950 को स्वीकार किया था। इस ब्लॉग में, हम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन, उनके कार्यक्षेत्र और राष्ट्रपति के रूप में उनके योगदान को विस्तार से जानेंगे।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन (Bharat Ke Pratham Rashtrapati Kaun The)
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति, दो कार्यकालों के लिए पद संभालने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक कुल 12 वर्षों, 107 दिनों तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले के जीरादेई गांव में हुआ था । उनका पूरा नाम राजेन्द्र प्रसाद बोष और जिन्हें प्यार से ‘राजेन बाबू’ भी कहा जाता था, उनके पिता महादेव सहाय था? और वो संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। उनका परिवार बड़ा था और उन्हें शिक्षा की महत्ता का बहुत आदर था। राजेन्द्र प्रसाद ने पहले मुंगेर में पढ़ाई की, और फिर कॉलेज ऑफ भूगोल और वन्यजीव शास्त्र, पटना में पढ़ाई पूरी की।
उनका शिक्षा क्षेत्र में योगदान आगे बढ़ता गया और उन्होंने नगर पारिषद, मुंगेर के सदस्य बनने के बाद राजनीतिक जीवन में कदम रखा। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बने और स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका योगदान था।
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स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को संगठित किया। उन्होंने सत्याग्रह, असहमति और विरोध की भावना से भरे हुए थे और इसके परिणामस्वरूप उन्हें बहुत बार जेल भेजा गया।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने का क्षण:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने अपनी संविधान की स्वीकृति की और गणराज्य का संचयन किया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को बहुतांत्रिक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और उन्होंने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। उनका यह क्षण भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसने एक नए युग की शुरुआत की।
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राष्ट्रपति के रूप में कार्यक्षेत्र:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने राष्ट्र के प्रमुख होने के नाते विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका का योगदान दिया और देश की उन्नति के लिए काम किया।
1. समाज में सुधार:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने समाज में सुधार के लिए कई पहल की। उन्होंने अपार्थिड सिस्टम के खिलाफ उठे और विभिन्न समाज में जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उन्होंने विभिन्न समाज सुधारक योजनाएं शुरू की और अपने कार्यक्षेत्र में समाज के न्याय और समानता की बढ़ती जड़ों को मजबूती दी।
2. शिक्षा में सुधार:
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी समर्पण भरी भावना को दिखाया और शिक्षा के माध्यम से समाज में सुधार करने का सपना देखा। उन्होंने शिक्षा को सभी के लिए समर्थनीय बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की और गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के अधिकार की सुरक्षा की।
3. आर्थिक विकास:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने देश के आर्थिक विकास के लिए भी कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने कृषि, उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की कई महत्वपूर्ण पहलें की जिनका लाभ आज भी देश को हो रहा है। उनका उदार दृष्टिकोण और नीतिगत निर्णयों ने देश को सुरक्षित आर्थिक स्थिति में बनाए रखा।
4. विदेशी नीति:
उनके कार्यक्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण पहल, यह रही कि विदेशी नीति में सुधार करना। उन्होंने देश की आंतरिक और बाह्य नीतियों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए और भारत को विश्व में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने के लिए प्रयासरत रहे।
5. कृषि और ग्रामीण विकास:
डॉ. प्रसाद ने देश के कृषि सेक्टर के विकास के लिए भी कई कदम उठाए। उन्होंने किसानों की स्थिति में सुधार के लिए योजनाएँ बनाईं और ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्धि की दिशा में बढ़ावा देने के लिए कई पहलूओं को समर्थन किया।
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समाप्ति:
दोस्तों इस ब्लॉग मे हमने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन, उनके कार्यक्षेत्र और राष्ट्रपति के रूप में उनके योगदान को विस्तार से जाना ।
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भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?-:FAQ’s
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे I
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले के जीरादेई गांव में हुआ था ।
उनके पिता का नाम महादेव सहाय था? और वो संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे
उनकी माता का नाम कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक कुल 12 वर्षों, 107 दिनों तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।
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