भारत का सबसे ऊँचा बांध कौन सा है? (Bharat Ka Sabse Uncha Bandh)

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नमस्कार दोस्तों आजकी इस ब्लॉग मे हम बांधो के बारे मे बात करेगे, दोस्तों भारत, एक विविधताओं और समृद्धि से भरी भूमि है जिसमें अनगिनत नदी और नहरें हैं। इन नदियों का प्रबंधन और उनका उपयोग कृषि, जल, और ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। साथ ही बांध बाढ़ जैसी स्थिति में उसे कम करने या रोकने में मदद करता हैं। इसके लिए बांधों का महत्वपूर्ण योगदान है। तो दोस्तों आज की इस ब्लॉग में हम जानेंगे की भारत का सबसे ऊँचा बांध कौन सा है। तो चलिए बिना किसी देरी किये इस ब्लॉग को शुरू करते है। 

भारत का सबसे ऊँचा बांध कौन सा है? (Bharat Ka Sabse Uncha Bandh)

टिहरी बांध (Tehri Dam), भारत का सबसे ऊँचा और बड़ा बांध है जो उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है। और यह 260 मीटर की ऊंचाई के साथ, टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा और विश्व का 8वां सबसे ऊंचा बांध है।और इसकी कुल लंबाई 575 मीटर है, और इसकी चोटी की चौड़ाई 20 मीटर है और आधार चौड़ाई 1,128 मीटर के साथ टिहरी 52 वर्ग किलोमीटर के सतह क्षेत्र पर फैला है। और इसे टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने निर्माण किया है। और 2006 में चालू किया गया था। यह बांध भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित सबसे ऊँचा बांध होने के साथ-साथ एक विश्व रिकॉर्ड होल्डर भी है।

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भारत के सबसे ऊँचे बांध, टिहरी डैम का उद्देश्य:

टिहरी डैम का मुख्य उद्देश्य जल संग्रहण है। इससे नीचे के क्षेत्रों को साफ और नियमित जल प्रदान होता है, जिससे खेती में सुधार होता है।

टिहरी डैम से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से बिजली उत्पादन होता है जो उत्तराखंड के और पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

बांध से होने वाली जल संग्रहण की कारण सुबह, दोपहर, और शाम के समय पर्यावरण के लिए पानी की आपूर्ति में सुधार हो रहा है।

भारत का सबसे ऊँचा बांध से सम्बंधित आवश्यक बाते 

टिहरी डैम, जिसे टिहरी जल विद्युत निगम लिमिटेड (टिहरी हायड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। तेहरी डैम का निर्माण 1978 में हुआ था, और इसका निर्माण मुख्य रूप से भागीरथी नदी पर हुआ। यह डैम भारत का सबसे ऊचा बंध है।

यहां कुछ मुख्य तिथियां हैं:

निर्माण शुरुआत: टिहरी डैम का निर्माण 1978 में शुरू हुआ था।

उद्घाटन: टिहरी डैम का उद्घाटन 2006 में किया गया।

ऊचाई: टिहरी डैम की ऊचाई लगभग 260.5 मीटर (855 फीट) है। इस डैम का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन है।

स्थिति: टिहरी डैम उत्तराखंड के तेहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित है। इसकी सहायक बंधें भिलंगना, भागीरथी, और भिलंगना II हैं।

जल विद्युत उत्पादन: तेहरी डैम जल विद्युत उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसमें 1,000 मेगावॉट से अधिक बिजली उत्पन्न की जाती है।

परिस्थितियाँ: तेहरी डैम एक भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, जिसके कारण इसके निर्माण पर कुछ प्रतिबद्धताएँ हैं। इस डैम के निर्माण के दौरान कुछ स्थल परिवर्तन और लोगों की हटाशी भी हुई।

टिहरी डैम एक महत्वपूर्ण जल संसाधन और जल विद्युत उत्पादन का केंद्र है, लेकिन इसके निर्माण के दौरान कई समस्याएं उत्पन्न हुईं। डैम के निर्माण से जुड़ी कुछ विवाद भी हैं, जिसमें पर्यावरण और सामाजिक मुद्दे शामिल हैं।

बांध होने से क्या सुबिधा है?

बांधों का निर्माण कई प्रकार के सुबिधाएं प्रदान करता है और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान करता है। यहां कुछ मुख्य सुबिधाएं हैं जो बांधों से होता हैं:

बांधों का मुख्य उद्देश्य जल संग्रहण करना होता है। इसके माध्यम से बर्फबारी, मौसमी विशेषताओं के दौरान बारिश से होने वाली जल संग्रहित की जा सकती है, जिससे सूखे की स्थिति में जल संग्रहण हो सकता है।

बांधों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। जल से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का उपयोग हाइड्रोपावर प्लांट्स के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

बांधों के माध्यम से निर्मित तालाबों और डैमों से सड़कों, गाँवों, और नगरों को नियमित पानी की आपूर्ति होती है। इससे सिर्फ पीने के पानी की ही नहीं, बल्कि कृषि और उद्योग के लिए भी पानी उपलब्ध होता है।

बांधों के माध्यम से जलवायु सुधार हो सकता है। सही तरीके से प्रबंधित बांधों से सूखा, बर्फबारी, और बौछार के क्षेत्र में सुधार होता है।

नदी परिचालन बांधों के माध्यम से संभाव होता है, जिससे उद्योग, व्यापार, और परिवहन को सुविधाएं मिलती हैं।

बांधों से जल संग्रहण के साथ-साथ प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकता है। कई बार बांधों से उत्पन्न होने वाला पानी का उपयोग प्रदूषण नियंत्रण के लिए किया जाता है।

बांधों के निर्माण से कई वन्यजीवों को बचाया जा सकता है जो निर्माण क्षेत्र से पहले वहां थे। इससे प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद हो सकती है।

इन सुबिधाओं के साथ, बांधों का सही तरीके से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है ताकि इससे होने वाले लाभों को सुनिश्चित किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों को इसका उपयोग करने का लाभ हो सके।

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बांध कितने प्रकार के होते हैं?

बांध जगह के अनुसार बनाया गया है, इसलिए आम बांध का आकार इस प्रकार है- आर्क डैम, ग्रेविटी डैम, आर्क-ग्रेविटी डैम, बर्गेस डैम, एंबैंकमेंट डैम, रॉक फिल, कंक्रीट फेस रॉक फिल डैम और अर्थ फिल डैम।

भारत के 5 सबसे ऊंचे बांधों के नाम

  1. टिहरी बांध (Tehri Dam)
  2. भाखड़ा नांगल बांध (Bhakra Nangal Dam)
  3. सरदार सरोवर बांध (Sardar Sarovar Dam)
  4. हीराकुंड बांध (Hirakud Dam)
  5. नागार्जुन सागर बाध (Nagarjuna Sagar Dam)

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भारत के 10 बांधो के नाम?

संख्याबांध का नामराज्यनदी
1भाखरा डैमपंजाबसतलुज
2हिरकुद डैमओडिशामहानदी
3नागार्जुन सागर डैमआंध्र प्रदेशकृष्णा
4सर्दार सरोवर बांधगुजरातनर्मदा
5तेहरी डैमउत्तराखंडभागीरथी
6गोधावरी बांधमहाराष्ट्रगोधावरी
7भीमाशंकरलिंग बांधकर्नाटकभीमा
8कोइला बांधमध्य प्रदेशपरवा
9मांडला बांधतेलंगानाकृष्णा
10राजा लक्ष्मण सिंह बांधबिहारकोसी

समापन:

टिहरी डैम के माध्यम से भारत ने अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही और सुरक्षित उपयोग करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे न केवल जल संग्रहण हो रहा है, बल्कि ऊर्जा उत्पादन, बिजली सप्लाई, और प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने में मदद हो रही है। बांधों का सही तरीके से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है ताकि इनका सुरक्षित और सतत उपयोग किया जा सके और हमारे आने वाले पीढ़ियों को भी इसका लाभ हो सके। 

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